**माँ अन्नपूर्णा का दिव्य-प्रभावी शाबर-मंत्र ***

मंत्र:------

ॐ गुरूजी अन्नपूर्णा माई, सत की सवाई लक्ष्मी व जर्योग ध्यान महामाई , संध्या -सकाल-त्रीकाल-मध्यं मध्यान जहाँ ध्याई जहाँ पाई रिद्धी- सिद्धि की कमी न रखे कोई ,,अन्नपूर अन्न्पुरने माई , धृत पूरत गणेश -जल पूरत ब्रह्मा रक्ष्या करत महेश , जागो अलख जग जग जागो , जीघट कालक बहुत ही व्याप , सुमरू मत सुंदरी , उदय मत अन्न्पुर्नेश्वरी नीभपद पान कर ,भूखा उपकार कर ,प्रदसमेश्वरी, नग्ने खुख भूचरी ,, हेमा खुख दिगम्बरी , काशी खुख़ प्रागेश्वरी इति देव रक्ष्या करंते , बिलम्ब ना करो माता अन्न्पुर्नेश्वरी बारा कोश आगली ,, बारा कोश पाछली ,बारा कोश डपाई , बारा कोश जीवनी इति रिद्धी -सिद्धि अन्नपूर्णा माई लाई, अन्नपूर्णा का जपो जाप , दलिद्र का काटो पाप , अन्नपूर्णा का जाप हृदय में हुवा , अंत कोशी दाम नाथ जी ने कहा !!!..........


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