**नवरात्र-विशेष ''भद्रकाली-शाबर -मंत्र-साधना ''**

मंत्र :---

ॐ सिंहो दत्तो बिकोवा धडित धडधडात ध्यायमान भवानी दैत्यानाम देह-नाशनम तोड़यन्ति , सिरांसी रक्ता पिबन्ति , घुटत घुट -घुटात घुटेयन्ति , पिशाचा त्रिहाप -त्रिहाप हसंती , खदत-खद -खदात त्रिरोष मम भद्रकाली ९ नाथ ८४ सिद्धन के बीच में बैठ कर ,,काली भद्रकाली रूद्र काली मंत्र हुम् स्वाहा !!!

..विधान:-----


नवरात्री में रात्रि के समय नित्य पांच-माला जप करे और देवी की प्रसन्नता हेतु नित्य प्रात: ही देवी स्वरूपा कुमारी -[कन्या ] को एक लाल फल भी दक्षिणा सहित भेंट करे और आशीर्वाद ले और रात्रि में जप काल के समय उड़द का बड़ा -दही का भोग देवी के भोग हेतु रखे ! यह मंत्र जागृत है और अपार -प्रभावशाली है ! मंत्र के प्रभाव से देवी की असीम कृपा साधक पर बनी रहेगी ! देवी के नाना-रूपों में साधक को विशेष अनुभूति होगी ,, कभी कभी भय कारक दृश्य भी सम्मुख उपस्थित हो जाते हैं ! इस मंत्र के प्रभाव से साधक मनोवांछित फल प्राप्त करता है ! उसके घर में सदेव ही देवीय कृपा बनी रहती है और सदेव ही उसको शुभ कार्यो में सफलता प्राप्त होती है !सभी प्रकार के शत्रु पराजित होते हैं ! मंत्र-सिद्ध साधक पर कोई भी अभिचार प्रयोग सफल नहीं होता ! उसकी सदेव ही रक्षा देवी की कृपा से होती है ! नवरात्रि के पश्चात् इस मंत्र का जप नित्य १ माला अवश्य ही करे


! ..........भूपेंद्र दत्त शर्मा

Comments