..कुछ
थोड़ी लॉन्ग-इलायची-सौंफ पीसकर एक सेर आटे में मिला ले ! पाव भर देशी खांड
और ओउ उतना ही पानी मिला ले की जिससे आटा सुलभता से गुंथा जा सके ! इस
गुंथे आटे से केवल एक ही रोटी बनानी है ! जब रोटी बन जाये तो उसमे कुछ
सरसों का तेल चुपड़ दे ! इस रोटी के ठीक बीच में सिंदूर का एक टीका लगाये !
टीके से कुछ दूरी पर रोटी का एक गोलाकार टुकड़ा काटे -[यानि गोल टुकड़े के
बीच में टीका आना चाहिए] ! अब इस गोलाकार टुकड़े को भी बीच में से
काटकर-[निम्बू की तरह] दो भाग बना ले , किन्तु ऐसा काटे की एक भाग में टीका
पूरा आना चाहिए ! अब इन टुकडो को फिर से जोड़ -मिलाकर रोटी के बीच में रख
दे ! अब भैरव मंदिर जाकर भगवान को धूप-दीप दे ! रोटी के सभी भागो को भगवान
के भोग हेतु अर्पित कीजिये और अपने किसी भी कार्य की सिद्धि हेतु प्रार्थना
कीजिये ! अब टीका लगा हुवा टुकड़ा श्वान-[कुत्ता] को खिला दे , बचा हुवा
आधा गोल टुकड़ा किसी कुए में फेंक दे ! शेष बची हुयी रोटी को भी टुकड़े करके
श्वान को ही दे ,,, किन्तु एक टुकड़ा बचाकर अपने घर ले आये ! और घर में ही
किसी सुरक्षित स्थान में रख दे ! इस क्रिया के फल स्वरूप प्रयोगकर्ता का
असाध्य कार्य में सफलता सिद्ध होगी ! और उस पर भैरव जी की विशिष्ट कृपा बनी
रहेगी ! प्रयोगकर्ता को चाहिए की अपने और अपने परिवार की प्रसन्नता -सुख
समृद्धि हेतु ही ये प्रयोग करे-------------किसी के अनिष्ट की कामना को
ध्यान में कदापि भी न रखे !
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